Home Story शरारती Shin-chan की Story: एक एक्सीडेंट, एक मां की यादें

शरारती Shin-chan की Story: एक एक्सीडेंट, एक मां की यादें

क्या आपने कभी सोचा है कि वो शरारती, नटखट और कभी-कभी शर्मिंदगी में डाल देने वाला बच्चा shin-chan” कैसे अस्तित्व में आया? हर किसी के दिलों पर राज करने वाला ये प्यारा किरदार असल में एक दर्दनाक हादसे और एक मां की यादों की देन है। ये कहानी शुरू होती है जापान के कासुकाबे शहर से, जहां एक 5 साल का बच्चा अपनी छोटी बहन को बचाने के प्रयास में दुनिया से अलविदा कह जाता है। इस हादसे ने एक मां की यादों को जिंदा रखा और एक रचनात्मक कलाकार, योशितो यूसुई को प्रेरित किया कि वो इस कहानी को दुनिया के सामने लेकर आए।


कौन थे योशितो यूसुई?

योशितो यूसुई का जन्म 21 अप्रैल 1958 को जापान के कासुकाबे शहर में हुआ था। वो एक साधारण डिजाइनिंग स्टूडेंट थे, जो कभी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। 1987 में एक एडवर्टाइजिंग कंपनी में काम करने के बाद, उन्होंने मंगा मैगजीन के लिए काम करना शुरू किया और यहीं से उन्होंने “क्रेयॉन शिन-चैन” की कल्पना की। 1990 में ये मंगा मैगजीन में छपने लगा और देखते ही देखते हर किसी का फेवरेट बन गया।


शिन-चैन का असली इंस्पिरेशन

जापान के कासुकाबे शहर की एक असल घटना ने शिन-चैन को जन्म दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक महिला मिसाई अपने दोनों बच्चों के साथ बाजार गई थी। उसने अपने 5 साल के बेटे शिनोसुके को अपनी बहन की देखभाल करने के लिए कहा, लेकिन खिलौनों में उलझे शिनोसुके का ध्यान बहन पर नहीं गया। उसकी बहन सड़क पर जा पहुंची, और उसे बचाने के प्रयास में शिनोसुके ने अपनी जान गंवा दी। यही दिल दहला देने वाली घटना बाद में “शिन-चैन” की कहानी का आधार बनी।


शिन-चैन की शरारतों का सफर

शिन-चैन की कहानी सिर्फ एक बच्चे के इर्द-गिर्द नहीं घूमती। यह 5 साल के शिनोसुके, उसके पापा हिरोशी, मां मित्सी, छोटी बहन हिमावारी और कुत्ते शीरो की रोजमर्रा की जिंदगी को दिखाती है। शिन-चैन की मासूम शरारतें, अजीबोगरीब सवाल और “शिमला मिर्च पसंद है?” वाला उसका फेमस डायलॉग आज भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान ले आता है।


टीवी पर डेब्यू और दुनियाभर में छा जाने की कहानी

13 अप्रैल 1992 को जापान के TV Asahi चैनल पर पहली बार “क्रेयॉन शिन-चैन” का टीवी शो आया। जल्द ही यह जापान की सीमाओं को पार कर दुनिया के 45 देशों और 30 भाषाओं में डब कर दिखाया जाने लगा। भारत में 19 जून 2006 को हंगामा टीवी पर जब शिन-चैन का डेब्यू हुआ, तो चैनल के मार्केट शेयर में 60% की बढ़ोतरी हो गई।


शो पर लगा बैन, लेकिन फैंस की मांग से वापस आया

2008 में भारत में कुछ माता-पिता ने शो के कुछ कंटेंट पर आपत्ति जताई। न्यूडिटी और कुछ एडल्ट संवादों की वजह से सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शो पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन दर्शकों की भारी मांग पर 2009 में इसे दोबारा प्रसारित किया गया, जिसमें आपत्तिजनक कंटेंट को हटा दिया गया था।


योशितो यूसुई की दर्दनाक मौत

12 सितंबर 2009 को, योशितो यूसुई ट्रैकिंग के लिए गए और अचानक गायब हो गए। कुछ दिनों बाद, उनका शव गुमना के माउंट अराफ्यून के नीचे मिला। उनके कैमरे में आखिरी तस्वीर पहाड़ की चोटी की थी, जिससे माना गया कि वो ट्रैकिंग के दौरान गिर गए थे। उनकी मौत के बाद, पब्लिशर फुताबाशा ने नवंबर 2009 में मंगा बंद करने की घोषणा की। लेकिन दर्शकों की मांग के चलते फरवरी 2010 में इसे “न्यू क्रेयॉन शिन-चैन” के नाम से फिर से शुरू किया गया।


शिन-चैन की फिल्मों का सिलसिला

1993 में “शिन-चैन: एक्शन मास्क vs लियोटार्ड डेविल” नाम की पहली फिल्म आई, जिसने 141 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। तब से लेकर अब तक शिन-चैन पर 31 हिट फिल्में बन चुकी हैं। सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म 2015 में आई “क्रेयॉन शिन-चैन: माय मूविंग स्टोरी, कैक्टस अटैक” थी, जिसने 232 करोड़ रुपये की कमाई की थी।


वीडियो गेम्स और मर्चेंडाइज की दुनिया

शिन-चैन सिर्फ शो और फिल्म तक सीमित नहीं रहा। 1993 से अब तक इस पर 50 से ज्यादा वीडियो गेम बनाए जा चुके हैं। 2021 में लॉन्च हुए वीडियो गेम “शिन-चैन: मी एंड द प्रोफेसर ऑन समर वेकेशन” की दुनियाभर में 4 लाख यूनिट्स बिक चुकी हैं। इसके अलावा, मंगा मैगजीन और गेम बुक की दुनियाभर में 148 मिलियन (14 करोड़) कॉपियां बिक चुकी हैं।


शिन-चैन के कुत्ते शीरो का खास योगदान

शिन-चैन के प्यारे पालतू कुत्ते शीरो को कौन भूल सकता है? शीरो न सिर्फ शिन-चैन का दोस्त है, बल्कि कई बार उसकी शरारतों को संभालने वाला भी। शीरो की पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस पर भी कई फिल्में बन चुकी हैं।


आज भी जीवित है शिन-चैन की यादें

आज जब योशितो यूसुई हमारे बीच नहीं हैं, शिन-चैन उनकी विरासत के रूप में जिंदा है। शिन-चैन सिर्फ एक मंगा कैरेक्टर या कार्टून शो नहीं है, बल्कि बच्चों और नौजवानों की यादों का हिस्सा है। इस किरदार ने लोगों को सिखाया कि कैसे छोटी-छोटी शरारतों में भी ढेर सारी खुशियां होती हैं। चाहे आप 5 साल के हों या 50 साल के, शिन-चैन की मासूम शरारतें और दिल छू लेने वाले डायलॉग्स कभी पुरानी नहीं होते।


क्यों खास है शिन-चैन?

  1. मस्तीभरा किरदार: शिन-चैन की मासूम शरारतें बच्चों और बड़ों दोनों को हंसने पर मजबूर कर देती हैं।
  2. फैमिली शो: माता-पिता, भाई-बहन और पालतू कुत्ते के साथ रोजमर्रा की जिंदगी को दर्शाने वाला शो हर उम्र के लोगों को पसंद आता है।
  3. ग्लोबल पॉपुलैरिटी: जापान से लेकर भारत और अमेरिका तक, शिन-चैन की पॉपुलैरिटी का दायरा बहुत बड़ा है।
  4. लाइफ लेसन्स: शिन-चैन की जिंदगी हमें सिखाती है कि जिंदगी को हल्के में लेना जरूरी है और छोटी-छोटी चीजों में भी खुशी ढूंढनी चाहिए।

शिन-चैन का नटखट अंदाज हमेशा रहेगा यादगार

शिन-चैन की मासूमियत, उसके मजेदार सवाल और कभी-कभी शर्मिंदा कर देने वाली हरकतें उसे हमसे जोड़ती हैं। चाहे “शिमला मिर्च पसंद है?” वाला डायलॉग हो या उसके दोस्त काजामा, मासाओ और बो की टीम, हर कोई शिन-चैन के साथ हंसता और मुस्कुराता है। योशितो यूसुई के इस अमर किरदार ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी मासूम शरारतें भी हमें जिंदगी का असली मतलब सिखा सकती हैं।

तो अगली बार जब आप “क्या आपको शिमला मिर्च पसंद है?” सुनें, तो समझ जाइए कि शरारती शिन-चैन आपके आसपास ही है!