राजस्थान के रेगिस्तान में सरस्वती नदी के संकेत या विज्ञान का चमत्कार?

राजस्थान के जैसलमेर के मोहनगढ़ में विक्रम सिंह भाटी के खेत में हाल ही में हुई एक घटना ने सबका ध्यान खींचा है। सिंचाई के साधन की कमी के कारण उन्होंने ट्यूबवेल खुदवाने का निर्णय लिया।

जब 800 फुट गहराई तक खोदने के बाद भी पानी नहीं मिला, तो उन्होंने खुदाई और गहरी करवाने का फैसला किया। इसके बाद अचानक धरती से अलसुबह पानी की तेज धार फूट पड़ी, जो तीन दिनों तक बहती रही। पानी का बहाव इतना तेज़ था कि खेतों में सात-सात फुट पानी भर गया, जिससे जीरे की खड़ी फसल बर्बाद हो गई।

मशीन और ट्रक भी ज़मीन में समा गए
विक्रम सिंह भाटी ने बताया, “खुदाई के दौरान जलधारा इतनी तेज़ी से फूटी कि 22 टन की बोरवेल मशीन और ट्रक भी ज़मीन में धंस गए। ज़मीन की ऊपरी परत 10 फुट गहरे में समा गई।”


वैज्ञानिकों की टीम ने किया अध्ययन

इस घटना की जांच के लिए राजस्थान ग्राउंड वाटर बोर्ड के प्रभारी डॉ. नारायणदास इणखिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम ने तीन दिन तक शोध किया।

डॉ. इणखिया ने कहा, “850 फुट तक खुदाई के दौरान चट्टानें टूट गईं, जिससे जल का सोता फूट पड़ा। ये क्ले की परतें आमतौर पर मज़बूत होती हैं और उनके टूटने से ही पानी इतनी तीव्रता से बाहर आया।”

क्या यह सरस्वती नदी का पानी हो सकता है?
इस घटना ने सरस्वती नदी के अस्तित्व को लेकर भी चर्चा छेड़ दी। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, सरस्वती नदी कभी इस क्षेत्र से बहती थी। हालांकि, भूजल वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे साबित करने के लिए कार्बन डेटिंग जैसी विस्तृत जांच की आवश्यकता है।

जलधारा की उत्पत्ति का रहस्य
इसरो और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा किए गए पूर्व अध्ययनों के अनुसार, यह इलाका भूगर्भीय दृष्टि से जल स्रोतों से समृद्ध है। 1982 में किए गए एक शोध ने इस क्षेत्र में भूमिगत जल के प्रचुर मात्रा में होने के संकेत दिए थे।

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