Home देश-दुनिया अजमेर शरीफ के नीचे हिंदू मंदिर ?

अजमेर शरीफ के नीचे हिंदू मंदिर ?

अजमेर शरीफ दरगाह एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार इसकी वजह एक किताब बनी है, जो इस ऐतिहासिक स्थल पर केंद्रित है। हाल ही में स्थानीय अदालत ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस दरगाह परिसर का सर्वेक्षण कराने की मांग को लेकर दायर याचिका के संदर्भ में है।

अजमेर शरीफ दरगाह का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व


हर बिलास सारदा की किताब: इतिहास का नया नजरिया

याचिका की जड़ें दीवान बहादुर हर बिलास सारदा की किताब ‘अजमेर: ऐतिहासिक और वर्णनात्मक’ से जुड़ी हैं। यह किताब ब्रिटिश काल के न्यायाधीश, राजनीतिज्ञ और शिक्षाविद हर बिलास सारदा द्वारा लिखी गई थी। उनकी किताब में उल्लेख है कि अजमेर शरीफ दरगाह जिस स्थान पर स्थित है, वहां कभी प्राचीन हिंदू मंदिर हुआ करता था।


महादेव के मंदिर का जिक्र

सारदा ने अपनी किताब में लिखा है कि दरगाह परिसर में पहले महादेव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर था। उन्होंने एक ब्राह्मण परिवार का भी उल्लेख किया, जो वहां महादेव की मूर्ति पर प्रतिदिन चंदन चढ़ाने और घंटा बजाने का कार्य करते थे। उनके अनुसार, दरगाह के तहखाने में आज भी मंदिर के अवशेष मौजूद हैं।

सारदा की किताब में वर्णित मंदिरों के अवशेष का काल्पनिक चित्रण


‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ और सरस्वती मंदिर

सारदा ने अपनी किताब में ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ का भी उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा कि इसे भी एक सरस्वती मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदला गया। इस संरचना की तुलना उन्होंने मध्य प्रदेश के धार में स्थित राजा भोज की पाठशाला से की है। उनके अनुसार, यह संरचना शिक्षा के मंदिर के रूप में बनाई गई थी।


गौरी के हमले और मस्जिद निर्माण की कहानी

सारदा ने 1192 ई. में शहाबुद्दीन गौरी के नेतृत्व में हुए हमले का भी जिक्र किया। इस दौरान अफगानों ने कई मंदिरों को तोड़ा और उन्हें मस्जिदों में बदल दिया। इस बदलाव में शानदार दीवारें और मेहराबें जोड़ी गईं, जो आज भी देखी जा सकती हैं।

अढ़ाई दिन का झोपड़ा: इतिहास के पन्नों से


विवाद और याचिका का उद्देश्य

हालिया याचिका का उद्देश्य अजमेर शरीफ दरगाह के इतिहास को समझने और उसकी वास्तुकला के पीछे छिपे तथ्यों को उजागर करना है। अदालत द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद यह विषय और अधिक चर्चा में आ गया है।


ऐतिहासिक स्थलों का महत्व

ऐतिहासिक स्थलों पर इस तरह की चर्चाएं न केवल उनके महत्व को उजागर करती हैं, बल्कि समाज को उनके वास्तविक इतिहास से भी रूबरू कराती हैं। अब देखना यह है कि दरगाह का सर्वेक्षण और अदालत का फैसला इस विवाद पर क्या रोशनी डालता है।

अजमेर शरीफ दरगाह के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को उजागर करता यह लेख, इन दिनों चर्चा में रहने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालता है।